क्या यही है छिंदवाड़ा माॅडल?

कमलनाथ ने किसानो के 10 दिन के अंदर कर्ज माफ़ी, भावंतर की राशि, किसान यंत्र संसाधन सहित अन्य चीजों मैं किसानो को सुविधाएं देने की बात कही थी लेकिन प्रदेश के सीएम बनने के बाद भी उनके ये सभी वादे वचन जमीनी स्तर पर खोखले साबित हो रहे है। खुद सीएम कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में कई क्षेत्र के किसान इन सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित रह रहे है और अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। सीएम के गृह जिले छिंदवाड़ा मै किसान की बेटी और बेटा खेत में बैल बनकर हल चला रहे हैं। आपको सुनने मैं कुछ अजीब लगेगा लेकिन यह सच है। कल ही देवास जिले से एक आदिवासी परिवार की ऐसी ही खबर आई थी और आज सीएम कमलनाथ के गृह जिले से ये खबर आई है। छिंदवाड़ा जिले की परासिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत सांवलाढाना के ग्राम थावरी निवासी दिनेश धुर्वे के पास अपनी ढाई एकड़ की खेती है लेकिन खेत मैं बोवनी और बक्खर चलाने के लिए कोई किसान यंत्र संसाधन नहीं है और न ही उनके पास इतने महंगे यंत्र खरीदने के लिए राशि नहीं है इनके पास बैल या गाय भी नहीं है जिसके चलते मजबूर होकर अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खुद ही बैल बनकर ढाई एकड़ में लकड़ी से बने बक्खर चलाकर खेती कर रहे है साथ ही पंचायत के आसपास के खेतो मैं भी ऐसा कुछ नजारा देखने को भी सामना आया है जहा बेटी पढ़ाई छोड़कर अपनी माँ के साथ खेत जोतने को मजबूर है इन सभी किसानो को शासन से कोई मदद नहीं मिल रही है बैल खरीदने के लिए भी रुपये नहीं है और किस तरह किसान अपना जीवन यापन करने को मजबूर हो रहे हैं। पूर्व की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप को किसान का बेटा बोलते थकते नहीं थे लेकिन यह किसान लगातार 4 सालों से ऐसे ही बिना यंत्रो के खेती करके आ रहे है पूर्व की सरकार से भी इन्हे कोई मदद नहीं मिल पाई थी पुरानी सरकार गई नई सरकार आ गई लेकिन किसानो की हालत जैसे की तस बनी हुई है।

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