पवित्र अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) 1 जुलाई सोमवार से शुरू हो चुकी है। कड़ी सुरक्षा के बीच हजारों तीर्थयात्रियों का पहला जत्था हिमालय की पवित्र गुफा में विराजे बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हो गया है। समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर की जाने वाली विश्व की ये अनूठी यात्रा 45 दिनों तक चलती है। यह यात्रा 15 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी।
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से लगभग 140 किलोमीटर दूर हिमालय की दुर्गम गुफाओ में बना हुआ है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। अमरनाथ की गुफा समुद्रतल से लगभग साढ़े तेरह हजार फीट से भी ज्यादा की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की गहराई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा की ऊंचाई 11 मीटर है। अमरनाथ की पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में चलने वाली अमरनाथ यात्रा के दौरान लाखों लोग पवित्र हिमलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। गुफा में ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम की बूंदों से लगभग दस फीट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर बाकी जगह कच्ची भुरभुरी बर्फ होती है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।
जनश्रुति है कि इसी पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी, जिसे वहां पर जन्म लेने वाले तोते ने सुना और कथा सुनकर वह तोता शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गया था। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव की अमर कथा को गुफा में रहने वाले कबूतर और कबूतरी की जोड़ी ने भी सुना था जो आज भी अमर हैं और गुफा में नजर आ जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों को जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती साक्षात दर्शन मिलते हैं। और वे जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने अद्र्धागिनी पार्वती को इस गुफा में एक ऐसी कथा सुनाई थी, जिसमें अमरनाथ की यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थानों का वर्णन था।