रक्षाबंधन को भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार अपने साथ कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां समेटे हुए है। हालांकि इस बार रक्षाबंधन के साथ ही स्वतंत्रता दिवस का अद्भुत संयोग भी जुड़ रहा है। फिलहाल हम आपको बता रहे हैं रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां। रक्षा बंधन की एक कहानी भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी है जब राजा बलि की दानवीरता की परीक्षा लेने के बाद जब भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो राजा बलि ने उन्हें पाताल लोक का पहरेदार बना दिया। काफी समय तक जब भगवान विष्णु वैकुंठ नहीं लौटे तो माता लक्ष्मी ने एक गरीब महिला बनकर राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को मांगा तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। एक और कहानी भविष्य पुराण में है जिसमें बहन ने भाई को राखी नहीं बांधी थी बल्कि इंद्र की पत्नि शचि ने सावन की पूर्णिमा के दिन अपने पति इंद्र को तपोबल से तैयार किया हुआ रक्षासूत्र बांधा था जिसके बाद इंद्र की असुरों पर विजय हुई थी। महाभारत काल की कहानी के मुताबिक द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को अपना भाई बनाया था। पौराणिक जानकारी के मुताबिक शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की उंगली अपने ही सुदर्शन चक्र से कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रौपदी की रक्षा की थी। इतिहास के झरोखे में भी एक कहानी आती है जिसमें राणा सांगा की विधवा पत्नि कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन मांगा था। हुमायूं ने भी राखी की लाज रखते हुए चित्तौड़ पर कभी हमला नहीं किया और बाहरी हमलावरों से चित्तौड़ की रक्षा की थी।