मध्यप्रदेश की राजधानी में चुनाव हाई प्रोफाइल तो हो ही गया है। हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला ब्राह्मण समाज भी इस बार बंटा नजर आ रहा है। विधानसभा चुनावों में शिवराज सिंह चौहान के माई के लाल वाले बयान के कारण बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग बीजेपी और शिवराज से नाराज हो गए थे और यही कारण था कि बीजेपी की हार में नोटा में पड़े वोटों का बहुत बड़ा हाथ था। इस बार के लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण समाज की नाराजगी बीजेपी से दूर होती नजर आई है और कई लोग जो सपाक्स या कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे अब बीजेपी के साथ दिखाई दे रहे हैं। ब्राह्मण समाज के एक संगठन की ओर से शुक्रवार को एक विज्ञप्ति जारी करके साध्वी प्रज्ञा को समर्थन देने का दावा किया गया और आरोप लगाया गया था कि दिग्विजय सिंह ने 2003 में वेदपाठी ब्राह्मणों को पिटवाया था इसलिए वे उन्हें वोट नहीं देंगे। कुछ ही घंटों बाद ब्राह्मणों के दूसरे संगठन की तरफ से दिग्गी के समर्थन का पत्र जारी कर दिया गया कि ब्राह्मण समाज के लोग अपने विवेक से वोट दें और किसी की बातों में न आएं। आपको बता दें कि अगर जातिवार देखा जाए तो भोपाल लोकसभा सीट में कायस्थ मतदाताओं के अलावा दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता आते हैं जिनकी संख्या लगभग 14% है। परंपरागत रूप से अधिकांश ब्राह्मण मतदाता बीजेपी सपोर्टर हैं, लेकिन फिलहाल ये प्रमुख रूप से कांग्रेस बीजेपी और सपाक्स में बंटे हुए हैं। अगर बीजेपी ब्राह्मण मतदाताओं की विधानसभा चुनाव की नाराजगी दूर करके उन्हें अपने पक्ष में वापस ला पाने में सफल होती है तो कांग्रेस को दिक्कत हो सकती है।