निमाड़ उत्सव के दूसरे दिन महेश्वर के मां अहिल्या घाट पर 8 राज्यों की जनजातीय संस्कृतियों की झलक देखने को मिली। नृत्य संगीत का अनोखा मेल देखकर महेश्वर और दूरदूर से पहुंचे दर्शक झूम-झूम उठे। शुरुआत लोक गायक बाबुलाल परिहार और उनके दल के निमाड़ी गायन के हुई। निमाड़ी गीत संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियो ने देवी अहिल्या के किले के आंगन में बैठे श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ का मडिया नृत्य गुजरात का गरबा बुंदेलखंड का बरेदी उत्तर प्रदेश की मयूर होली व मेजबान मध्य प्रदेश के बेगा जनजाति का पधौनी नृत्य हुआ ।