सीएम बनने के बाद पहले पहल कमलनाथ ने सार्वजनिक आयोजनों से दूरी बनाकर रखी थी और मध्यप्रदेश में भोपाल और छिंदवाड़ा के अलावा न तो किसी जिले का दौरा किया था और न ही किसी सार्वजनिक आयोजन में शरीक हुए थे। लेकिन अब कुछ दिनों से कमलनाथ हर सार्वजनिक आयोजन में शामिल हो रहे हैं और जनता के बीच घुल-मिल भी रहे हैं। लोगों का कहना है कि कमलनाथ ने मध्यप्रदेश की तासीर समझ ली है और अब वे शिवराज के दांव-पेंच भी जान गए हैं। कमलनाथ समझ गए हैं कि चुनावी मैनेजमेंट के अलावा जनता के बीच लोकप्रिय होना भी जरूरी है। यही कारण है कि कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान की तरह ही कन्या, गाय, अनुसूचित जाति-जनजाति के कार्यक्रमों के अलावा बड़े पैमाने पर धार्मिक आयोजनों में भी शामिल होने लगे हैं। शिवराज की तरह ही कमलनाथ भी मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करने में लगे हैं और इसका बकायदा मीडिया पर प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है। हाल ही में कमलनाथ अपने कैबिनेट मंत्रियों सहित महाकाल मंदिर पहुंचे और महाकाल की सवारी में भी शामिल हुए। सियासी जानकारों का कहना है कि कमलनाथ अपनी रिजर्व नेचर वाली छवि को तब्दील करने में लगे हैं और इसके लिए शिवराज का फंडा अपना रहे हैं।