चुनाव आयोग का जो कद जो सम्मान आज नजर आता है. उसे वो मजबूती देने वाला शख्स अब इस दुनिया में नहीं रहा. बाहुबल, धनबल और सत्ताबल के खिलाफ सीना तानकर खड़े चुनाव आयोग को मौजूदा रुतबा दिलाने वाले टीएन शेषन का रविवार देर रात निधन हो गया. 86 साल के शेषन कई साल से बीमार चल रहे थे. चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए शेषन हमेशा याद किए जाते रहेंगे.
तमिलनाडु कैडर के 1955 बैच के आईएएस अधिकारी शेषन ने 10वें चुनाव आयुक्त के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं. 15 दिसंबर 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेल्लई में जन्मे शेषन ने चुनाव आयुक्त के तौर पर मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत की थी. उनके चुनाव आयुक्त रहते यह कहावत प्रसिद्ध थी कि राजनेता सिर्फ दो लोगों से डरते हैं एक भगवान से और दूसरे शेषन से. उन्हें 1996 में रैमन मैगसेसे सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. उनके बारे में ये भी बताया जाता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के पहले ही दिन मुख्य चुनाव आयुक्त के कमरे सभी देवी देवताओं की मूर्तियों और कैलेंडर हटवा दिए थे जबकि वह खुद बहुत धार्मिक व्यक्ति थे. उनकी इच्छाशक्ति का पहला उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने राजीव गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन सरकार से बिना पूछे लोकसभा चुनाव स्थगित करा दिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीएन शेषन के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, टीएन शेषन एक उत्कृष्ट सिविल सेवक थे. उन्होंने अत्यंत परिश्रम और निष्ठा के साथ भारत की सेवा की. चुनावी सुधारों के प्रति उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को मजबूत और अधिक सहभागी बनाया है. उनके निधन का दुख है. ओम शांति.