नायब तहसीलदार ने मांगा खुद डिमोशन, सरकार ने वापस बना दिया पटवारी

अधिकारी कर्मचारी वर्ग में फील्ड पर पटवारी और दारोगा का जो रुतबा होता है वो कई बार उनके वरिष्ठ अधिकारियों का भी नहीं होता। इस बारे में कई चुटकुले भी बन चुके हैं। अब इसका साक्षात उदाहरण भी सामने आया है जहां पटवारी से प्रमोशन पाकर नायब तहसीलदार बने साहब से पटवारीगिरी का मोह नहीं छूट पाया और उन्होंने सरकार से खुद का डिमोशन करने की मांग करते हुए वापस पटवारी बनाने का आवेदन कर दिया। मामला उज्जैन का है जहां पर पांच महीने पहले राजस्व विभाग की विभागीय परीक्षा पास करके राजेश भाटी पटवारी से नायब तहसीलदार बन गए थे। लेकिन पांच महीने के भीतर ही भाटी को समझ में आ गया कि कहां पटवारी जैसा फील्ड का रुतबा और स्वतंत्रता और कहां नायब तहसीलदार के रूप में दफ्तर में बैठकर फाइलों पर कलमघसीटी करना। और ऊपर से पटवारी को जो ऊपरी कमाई है वो नायब तहसीलदार के नसीब में कहां। बस भाटी साहब ने राजस्व विभाग में एप्लिकेशन लगा दी कि उनका प्रमोशन रिवर्ट कर दिया जाए यानी उन्हें डिमोशन दे दिया जाए। प्रशासन ने भी भाटी की एप्लिकेशन मंजूर कर ली और उन्हें वापस पटवारी बनाने की कवायद शुरू कर दी है। अपनी तरह के इस अनूठे मामले को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं करने में लगे हैं।

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