ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद लगता है सियासी जायका बदल गया है. खासतौर से बीजेपी नेताओं का. शायद मंथन के बाद निकला अमृत सिंधिया समर्थकों के पास जा रहा है. और बीजेपी नेताओं के हिस्से सिर्फ और सिर्फ विष के कढ़वे घूंट ही आए हैं. अभी कुछ ही दिन पहले सीएम शिवराज ने कहा था कि विष तो शिव को ही ग्रहण करना पड़ता है. अब कैलाश पर भी विष का असर दिखाई देने लगा है. वैसे तो कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के उन तेजतर्रार नेताओं में से एक हैं जिन्हें टास्क मास्टर मा जाता है और संगठन को बांधकर मजबूत बनाए रखने में निहायती टैलेंटेड माने जाते हैं. पर इस बार कैलाश पर भी विष का असर दिखाई दे रहा है. जो सांवेर विधानसभा सीट के कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो इसलिए थे कि उन्हें मोटिवेट करेंगे. पर अपना ही दुखड़ा सुना बैठे. उपचुनाव को देखते हुए बीजेपी ने हर सीट पर वर्चुअल रैली कर रही है. जिसके तहत सांवेर विधानसभा सीट पर कैलाश विजयवर्गीय ने मोर्चा संभाला. जिन्हें कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करना था. क्योंकि कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है कि तुलसी सिलावट को जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया गया. दूसरा पिछले चुनाव में वो सिलावट के खिलाफ वोट मांगते रहे. अब उसी प्रत्याशी के समर्थन में उन्हें वोट मांगना है. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कभी कभी मेरे मन में भी विचार आता है कि जिन कांग्रेसियों से हम लड़ते रहे उनके साथ अब काम कैसे करेंगे. पर राजनीति यही है. इसके बाद कैलाश ने कहा कि कभी कभी कड़वा घूंट पी कर समाज सेवा करनी पड़ती है. अब तुलसी राम सिलावट कांग्रेसी नहीं है वो बीजेपी के सदस्य बन चुके हैं. इसलिए उनका प्रचार हमें करना ही होगा. इन शब्दों से साफ झलक रहा है कि खुद कैलाश विजवर्गीय ही अपनी बातों से कंविंस नहीं है. इसलिए आमतौर पर कार्यकर्ताओं के बीच दिखाई देने वाली शब्दों की धार गायब है. कढ़वा घूंट पीने के बाद शायद वो धार बोथरी हो गई है.
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