शिवराज 4.0 की शुरूआत शायद इसलिए हुई है कि सत्ता के शिव, विष पी पीकर अपनी प्रजा का कल्याण करेंगे. पर हालात जो हैं उनमें प्रजा का तो पता नहीं, फिलहाल तो सरकार का ही भला होता नहीं दिखाई दे रहा है. पैंतालीस घंटे दिल्ली में रहने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान खाली हाथ भोपाल लौट आए. मंत्रियों के विभाग बंटवारे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. खबर है कि विभागों को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी और सीएम शिवराज एकराय नहीं हो पा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक सिंधिया की नजर कुछ ऐसे विभागों पर हैं जो कमाऊ विभाग माने जाते हैं. जिसमें परिवहन, खनिज, राजस्व, नगरीय प्रशासन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास और पर्यटन जैसे विभाग शामिल हैं. सीएम और बीजेपी नेता चाहते हैं कि महत्वपूर्व विभाग उनके पास रहें. पर हाइकमान की दुविधा ये है कि वो कांग्रेस की सरकार गिराने से पहले सिंधिया से कई अलिखित समझौते कर चुके हैं. जिनके मुताबिक आगे बढ़ने की याद सिंधिया गाहे बगाहे दिला ही देते हैं. सिंधिया का तर्क है कि उपचुनाव जीतने के लिए उनके समर्थकों को तवज्जो मिलना जरूरी है. तो पार्टी का मानना है कि चुनाव में जीत से जुड़े इंतजाम करना पार्टी का काम है. इन सबके चलते विभाग बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है. अब विनय सहस्त्रबुद्धे को बीच का रास्ता निकालने का जिम्मा सौंपा गया है. अब इस बैठक में जो निष्कर्ष निकला उसके नतीजों के आधार पर विभाग बंटवारे का काम आगे बढ़ेगा.
#vibhagbantwara #shivrajcabinet #portfoliodistribution #mpnews #jyotiradityascindia #scindiasamarthak #vinaysahastrabuddhe #bjp #cabinetexpansion