कांग्रेस कुछ भी कर ले इस पार्टी के बड़े नेता एकजुट होने का नाम ही नहीं ले रहे. कहीं किसी मंच पर पार्टी के बड़े नेता एक साथ नहीं दिखाई दे रहे. मामला सिर्फ सियासत का हो ऐसा नहीं है. बाढ़ पीड़ित के जख्मों को मरहम लगाने में भी बड़े नेता साथ साथ नहीं है. अब मंदसौर का ही मामला ले लीजिए. यहां एक दिन पहल मुख्यमंत्री कमलनाथ गए. पीड़ितों से मिले और जरूरी घोषणाएं भी कीं. इसके अगले ही दिन मंदसौर और नीमच के दौरे पर पहुंच गए ज्योतिरादित्य सिंधिया. यहां सिंधिया का जोरदार स्वागत भी हुआ. पर सवाल ये भी उठे कि सिंधिया सीएम के साथ ही यहां क्यों नहीं पहुंचे. क्या इसके पीछे पार्टी की गुटबाजी है या फिर सिंधिया अलग से सुर्खियां बटोरना चाहते थे. आमतौर पर सीएम के दौरे के वक्त पार्टी से जुड़े बड़े नेता एक ही साथ नजर आते हैं. लेकिन सिंधिया ने ऐसा नहीं किया. वो अलग से यहां पहुंचे. शायद वो भी ये जानते होंगे कि सीएम के साथ जाएंगे तो कैमरे उनकी तरफ नहीं होंगे और न ही कार्यकर्ताओं का फोकस उन पर होगा. अब वो अकेले बाढ़ पीड़ितों की तकलीफ सुनने गए हैं. जाहिर है सारी सुर्खियां उनकी हैं और शक्ति प्रदर्शन भी हो ही जाएगा. और जनता भी महाराज का बदला बदला स्वरूप देख सकेगी. न्यूज लाइव एमपी.