पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को नोटिस जारी करके शायद बीजेपी ने मान लिया था कि उसकी जीत हो गई. ये नोटिस इसलिए दिया गया क्योंकि प्रेमचंद गुड्डू ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी सिलावट के खिलाफ अनापशनाप बयानबाजी की. ये तक कह दिया कि इन्हें आने वाले उपचुनाव में हराना है. पर गुड्डू को क्या पता था कि उनके इस बयान से पार्टी के आला नेता भड़क जाएंगे और जारी कर देंगे नोटिस. जिसका जवाब उन्हें सात दिन में देना होगा. पर ये क्या सात दिन तो दूर गुड्डू ने खबर आते ही जवाब दे दिया. जवाब भी इतना तगड़ा कि शायद बीजेपी भी बगले झांक रही होंगी कि किस तरफ मुंह घुमाकर शक्ल छुपा सकते हैं. क्योंकि गुड्डू ने जवाब ही ऐसा दिया है कि अब बीजेपी के पास कहने को कुछ बाकी नहीं रहा. वैसे बता दें कि ये गुड्डू का जवाब नहीं है. बल्कि प्रेमचंद गुड्डू जो लेटर भेजा है वो बीजेपी के मुंह पर जोरदार तमाचा है. जिसमें गुड्डू ने लिखा कि मुझे समाचार पत्रों के जरिए पता चला कि बीजेपी ने मेरे नाम नोटिस जारी किया है. इसके आगे जो गुड्डू ने लिखा उसे पढ़ कर तो आपकी भी हंसी छूट जाएगी. पत्र के मुताबिक गुड्डू फरवरी में ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. दावा तो ये है कि इधर महाराज बीजेपी के हुए और गुड्डू ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया. यानि अब बीजेपी को कोई हक नहीं है गुड्डू से जवाब मांगने का. अब गुड्डू ने इस करारे जवाब से ये तो बता दिया कि वो बस नाम के गुड्डू हैं सियासत के बुद्धू नहीं.