सत्ता की चौथी पारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कुछ खास रास नहीं आ रही है. जोड़ तोड़ से बनी इस सरकार के हर टुकड़े को जोड़कर रखने में शिवराज के पसीने छूट रहे हैं. बॉडी लेंग्वेज भी साफ इशारा कर रही है कि इस बार कॉन्फिडेंस पहले से कुछ कम है. खबर तो ये भी रही कि पार्टी आलाकमान और पीएम नरेंद्र मोदी की वो इस बार पहली पसंद नहीं थे. पर जल्दबाजी में लॉटरी उन्हें के नाम की खुली. और चौथी बार सीएम बनने का रिकॉर्ड बन गया. कमलनाथ सरकार को गिराने में शिवराज और महाराज की जोड़ी रंग लाई. पार्टी में महाराज का वेलकम भी शिवराजनुमा जुमले के साथ ही हुआ. स्वागत है महाराज साथ हैं शिवराज. अब तक तो ये साथ खूब जमा. पर मंत्रिमंडल की पहली ही लिस्ट के साथ स्वागत की औपचारिकताएं धरी रह गईं और साथ का इल्म टूट गया. क्योंकि महाराज ने साफ कर दिया है कि साथ तब तक है जब तक उनके समर्थकों की पूरी पूछ परख हो रही है. सोमवार से मंत्रिमंडल से जुड़ी जो खबरें आ रही हैं उसे सुनकर तो यही लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के बीच कुछ खास बन नहीं रही है. इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार भी टाल दिया गया है. खबर ये थी कि मंत्रिमंडल की लिस्ट में शिवराज ने कुछ सिंधिया समर्थकों के नाम काट दिए हैं. पर सिंधिया के ये बिलकुल गंवारा नहीं है. खासतौर से ग्वालियर चंबल के समर्थकों की मंत्रिमंडल से अनदेखी पर वो काफी नाराज हैं. इसलिए नरोत्तम मिश्रा को भी आनन फानन में दिल्ली बुलाया गया है. अब नरोत्तम ही इस मामले में बीच का हल निकालेंगे. इन हालातों को देखते हुए तो यही लगता है कि फिलहाल सिंधिया भी शिवराज से नाराज हैं. पीएम मोदी और आलाकमान के बाद सिंधिया की नाराजगी कहीं शिवराज को भारी न पड़ जाए.
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