ये सुनकर और पढ़ कर थोड़ा अजीब लगता है न कि बीजेपी की चाश्नी क्या हुई और सिंधिया के रसगुल्ले क्यों हुए. भई जिस तरह चाश्नी से लबरेज बातें इन दिनों बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए कर रही है उसे सुनकर यही लगेगा की बीजेपी ने भरपूर चाश्नी पकाई है जिसमें सिंधिया और उनके समर्थक रसगुल्लों की तरह डूबे हुए हैं. अब हाल ही की बात ले लीजिए सीएम शिवराज ने एक बार फिर सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए बहुत मीठी मीठी बातें कहीं है. प्रदेशाध्यक्ष वीडीशर्मा के बाद सीएम ने ट्वीट किया है जिसमें लिखा है कि सिंधिया ने प्रदेश का हित सबसे ऊपर रखा और अपने साथियों समेत भ्रष्ट सरकार से किनारा कर लिया. सीएम का ट्वीट आगे भी जारी है जिसमें लिखा है कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगाय, पदों को छोड़ा और सरकार गिराई. शिवराज का ये बयान भी कमलनाथ के एक्सक्लूजिव इंटरव्यू के ही संदर्भों में हैं. पर कोई शिवराज से ये तो पूछे कि भई इतनी मीठी मीठी बातों की जरूरत क्या है. अब तो सिंधिया पार्टी में आ ही चुके हैं. वापस कांग्रेस में जाना मुश्किल हैं. हां समर्थकों को पटा कर रखना जरूरी है क्योंकि हो सकता है वो किसी छलावे में आकर फिर पार्टी बदल लें. भई राजनीति है कुछ भी हो सकता है. इसलिए इस चाश्नी को गाढ़ा रखना फिलहाल बीजेपी की मजबूरी है.