आपने ऐसी बहुत सी स्कूल टीचर देखी होंगी जो स्कूटी चलाकर स्कूल पढ़ाने के लिए जाती हैं लेकिन दमोह में एक ऐसी टीचर हैं जिनकी सवारी की आप कल्पना नहीं कर पाएंगे। शकुन ठाकुर नाम कि ये टीचर पढ़ाने के लिए स्कूटी चलाकर नहीं बल्कि नाव चलाकर जाती हैं। हालांकि कुसुम को नाव चलाने का कोई शौक नहीं है लेकिन जिस स्कूल में वो प्राइमरी टीचर हैं वो नदी के दूसरे पार है और अगर सड़क से जाएं तो पंद्रह बीस किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा जिसके कारण स्कूल पहुंचने में देर हो जाएगी। इसलिए कुसुम रोज खुद ही नाव खेकर 100 मीटर चौड़ी व्यारमा नदी को पार करती हैं। शकुन धमरा गांव की रहने वाली हैं और उनकी पोस्टिंग दिनारी प्रायमरी स्कूल में है। दिनारी जाने के लिए शकुन को खुद ही नाव चलानी पड़ती है क्योंकि नदी में नाव तो है लेकिन नाविक नहीं है। पहले तो शकुन को काफी डर लगा लेकिन कलम और चॉक डस्टर थामने वाले हाथों ने आखिरकार मजबूरी में ही सही पतवार भी थाम ली और फिर डाल दी नाव मंझधार में। हालांकि बारिश के दिनों में जब नदी में तेज बहाव होता है तो शकुन का ये काम काफी जोखिम भरा हो जाता है। फिलहाल शकुन के पास इस तरह मंझधार में नाव खेने के अलावा और कोई चारा नहीं है।