झाबुआ महासमर- ये हैं बीजेपी कांग्रेस के सैनिक. सेनापति का फैसला जल्द

4 मंत्री बनाम 12 विधायक. झाबुआ उपचुनाव में जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच यही मुकाबला तय हुआ है. झाबुआ में दोनों पार्टियों की ओर से प्रत्याशी कौन होगा. चुनाव किन मुद्दो पर लड़ा जाएगा ये सब तो तय होता रहेगा. फिलहाल दोनों पार्टियों ने अपनी सेना और सेनापति दोनों तय कर लिए हैं. झाबुआ सिर्फ जीतने हारने का मुद्दा नहीं है. साख का भी मुद्दा है. जो जीता वो खम ठोंक कर कह सकेगा कि उसने जनता का विश्वास जीत लिया है. बीजेपी को पुराना विश्वास हासिल करना है तो कांग्रेस को उसे हासिल करना है. झाबुआ चुनाव अगर जीते तो कांग्रेस के भरोसे की नींव रखी जाएगी. तो यकीनन कोई पार्टी यहां चांस लेने के मूड में नहीं है. इस चुनावी समर में उतरने के लिए कांग्रेस के पास सबकुछ है, सत्ता सिस्टम और पावर. फिर भी पार्टी कोई कमी नहीं छोड़ रही और चार मंत्रियों बाला बच्चन, उमंग सिंघार, जीतू पटवारी, सुरेन्द्र सिंह बघेल को कमान दी है तो वहीं पांचीलाल मेड़ा, प्रताप ग्रेवाल, कलावती भूरिया समेत 9 विधायकों को भी उपचुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंप दी है. प्रभारी मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं. कांग्रेस का मानना है कि कमलनाथ सरकार की जन हितैषी योजनाओं के चलते सकारात्मक माहौल बना है जिसका फायदा उपचुनाव में मिलेगा.तो बीजेपी भी कम नहीं है. रस्सी जली है लेकिन बल अब भी कम नहीं है. बीजेपी ने अपने 12 विधायकों को यहां जीत का दारोमदार सौंपा है. बीजेपी ने दो सांसदों समेत 12 विधायकों की ड्यूटी उपचुनाव में लगा दी है. इनमें इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला और उषा ठाकुर भी शामिल हैं. वहीं सांसदों में इंदौर के शंकर लालवानी, झाबुआ के जीएस डामोर और धार के छतर सिंह दरबार के अलावा पूर्व सांसद और विधायकों को भी अलग अलग क्षेत्रों में भेजा जा रहा है. दोनों तरफ से आवाजें भले ही गूंज रही हों लेकिन जज्बा यही है कि आ देखें जरा किसमें कितना है दम. 21 अक्टूबर का दिन इस महासमर के महारथी का फैसला भी कर देगा.

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