मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने लगता है ऋषि चार्वाक के दर्शन को पूरी तरह अपना लिया है। ऋषि चार्वाक का सबसे प्रसिद्ध श्लोक है
यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ॥ यानी जब तक जियो सुख से जियो ऋण लेकर घी पियो, श्मशान में जलने के बाद राख हुआ शरीर फिर कहां वापस मिलता है। इस श्लोक से ही चार्वाक का दर्शन स्पष्ट हो जाता है कि कर्ज लेकर मौज करो ये जीवन दोबारा मिलने वाला नहीं है। कुछ यही इरादा MP सरकार का नजर आ रहा है। जिस हिसाब से सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है उससे लग रहा है कि सरकार को यकीन है कि ये सत्ता दोबारा मिलने वाली नहीं है यानी चुकाने का झंझट नहीं रहेगा। वैसे भी चुकाना तो प्रदेश की जनता को ही है। जानकारी के मुताबिक जब से सरकार बनी है तब से अब तक यानी 8 महीनों के भीतर सरकार ने 12 हजार 6 सौ करोड़ का कर्ज ले लिया है। जानकारों का कहना है कि अभी सरकार अपनी क्रेडिट के हिसाब से 18 हजार करोड़ का कर्ज और ले सकती है। लेकिन जिस रफ्तार से सरकार कर्ज ले रही है तो ये क्रेडिट खत्म होने में साल भर भी नहीं लगने वाला। उसके बाद फिर क्या होगा ये सोच-सोच कर जनता की हालत पतली हो रही है। दिग्विजय सिंह के शासन काल में जिस तरह कर्मचारियों को तनख्वाह के लाले पड़े थे और ओवरड्राफ्ट पर सरकार चली थी कहीं फिर से वही दिन तो नहीं आने वाले?