पाकिस्तान ऑकूपाइड कश्मीर में जैश के ठिकानों को तबाह करने वाले बम जबलपुर की खमरिया ऑर्डनेंस फैक्ट्री में बने बताए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक जिस तरह के बम इंडियन एयरफोर्स ने पीओके में बरसाए हैं वे 1000 पाउंडर बम कहलाते हैं और इनका निर्माण आयुध निर्माणी खमरिया में किया जाता है। पिछले 12 सालों से ओएफके में इस तरह के बम बनाए जा रहे हैं। जबलपुर की खमरिया फैक्ट्री के अधिकारी और कर्मचारी खुद पर गर्व महसूस कर रहे हैं कि उनके बनाए बम आज पुलवामा का बदला लेने के काम आए।
क्या होता है 1000 पाउंडर बम?
OFK के सूत्रों के मुताबिक 1000 पाउंडर बम की लंबाई 5 फीट और वजन लगभग 500 किलोग्राम होता है। इस महा विनाशकारी बम का खोल 250 किलोग्राम का होता है जो कि टंगस्टन, जस्ता जैसी धातुओं से बना होता है। इसके अंदर 250 किलो वजन का आरडीएक्स, टीएनटी और केमिकल मिक्सचर भरा रहता है जो इसकी विस्फोटक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। इस बम का वजन ज्यादा होने से इसे एयरफोर्स इस्तेमाल में लाती है। 1000 पाउंडर बम को क्रेन से फाइटर प्लेन में लोड किया जाता है। प्लेन में यह बम लगभग लटका रहता है। पायलट के बटन दबाने पर यह नीचे गिरकर भयानक तबाही मचाता है।
कहां होता है 1000 पाउंडर बम का इस्तेमाल?
इंडियन आर्मी 1000 पाउंडर बम का इस्तेमाल बंकरों और मजबूत बिल्डिंगों को तबाह करने में करती हैं। यह बम ऊंचाई से गिराने पर जमीन को टच करते ही आग का गोला बनकर फटता है। इससे लगभग 200 से 300 मीटर के इलाके में गहरा गढ्ढा बन जाता है साथ ही बंकर, बिल्डिंग और मजबूत स्ट्रक्चर मलबे के ढेर में तब्दील हो जाते हैं।