कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बोम्मई बनाम भारत गणराज्य केस का हवाला दिया है. जाहिर है ये सब जानना चाहेंगे कि ये कौन सा केस है जिसके हवाले से देश की सर्वोच्च अदालत अपना फैसला सुना रही है. आपको बता दें कि ये तकरीबन 32 साल पुराना मामला है. जो एसआर बोम्मई बनाम भारत गणराज्य केस के नाम से याद किया जाता है. ये बात उस वक्त की है जब कर्नाटक में पहली बार गैर कांग्रेस सरकार बनी. साल था 1988 जब एस आर बोम्मई कर्नाटक के सीएम बने थे. लेकिन विधायकों ने उनसे बाद में समर्थन वापस ले लिया था. बोम्मई ने जुगाड़ से समर्थन हासिल कर राज्यपाल से बहुमत परीक्षण कराने की मांग की. लेकिन राज्यपाल ने 1989 में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की और बोम्मई सरकार को बर्खास्त कर दिया. जिसके खिलाफ बोम्मई सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए. उस वक्त ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिकारों को सीमित किया. गवर्नर के फैसले को गलत ठहराया और कहा कि ऐसे मामलों पर सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण ले सकती है. कमलनाथ सरकार के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस का हवाला इसलिए दिया ताकि राज्यपाल और सरकार की भूमिका को स्पष्ट कर सके.