मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराज और कमलनाथ दो बड़े चेहरे हैं जो दो प्रमुख राजनैतिक दलों का फ्रंट फेस कहे जा सकते हैं। शिवराज पूर्व मुख्यमंत्री हैं तो कमलनाथ वर्तमान। प्रदेश में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब प्रमुख विपक्षी दल के प्रमुख नेता के रूप में शिवराज कमलनाथ सरकार के खिलाफ हल्ला बोलते हैं लेकिन राजनैतिक जानकारों का कहना है कि अधिकांश मौकों पर कमलनाथ शिवराज के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने या कड़ी बयानबाजी करने से बचते हैं। सरकार की शुरूआत में जब माह की पहली तारीख को गाए जाने वाले वंदेमातरम और मीसाबंदियों की पेंशन को बंद करने का मुद्दा सामने आया था तो शिवराज के कड़े रुख को देखकर कमलनाथ ने न केवल वंदेमातरम को नए स्वरूप में जारी रखा बल्कि मीसाबंदियों की पेंशन पर भी बैकफुट पर आ गए थे। ऐसे कई मामले सामने आए जब कमलनाथ के मंत्रियों ने शिवराज की कुछ योजनाओं को बंद करने का मन बनाया तो कमलनाथ ने उसके विपरीत रुख अपनाया। मंगलवार को भी जब आदिवासियों के मुद्दे को लेकर शिवराज ने धरना-प्रदर्शन किया तो कमलनाथ ने तुरंत शिवराज और आदिवासियों के प्रतिनिधि मंडल को मिलने बुलवा लिया और सारी मांगें मानने का आश्वासन भी दे दिया। बल्कि कमलनाथ का शिवराज के सामने हाथ जोड़े वाला फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब देखा गया। सूत्रों का कहना है कि शिवराज के खिलाफ बयान भी कमलनाथ के बजाय उनके मीडिया प्रवक्ता ही जारी करते हैं। इन सब घटनाओं और उदाहरणों को देखकर प्रदेश में लोग कह रहे हैं कि कुछ न कुछ वजह तो है जिसको लेकर कमलनाथ शिवराज से डरते हैं।