ज्योतिरादित्य सिंधिया न सिर्फ राजनीति के मैदान से फिलहाल गायब हैं. बल्कि क्रिकेट के मैदान पर जो उनका एकतरफा शासन था वो भी अब खत्म हो गया है. चार दशक तक एमपीसीए यानि कि मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर चार दशक तक राज करने वाले सिंधिया अब बैक टू पवैलियन हो गए हैं. लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद अब ये जिम्मा गैरराजनितिक चेहरों के पास चला गया है. सिंधिया भले ही मैदान से बाहर हों लेकिन महाराज को राज करने से कोई नहीं रोक सकता. वो भले ही एमपीसीए में न रहे लेकिन क्रिकेट मैदान में उनका ही हुक्म चलेगा. ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को उतारा गया है जो महाराज के खास माने जाते हैं. अध्यक्ष पद पर अभिलाष खांडेकर हैं जो क्रिकेट की सियासी मैदान में पहली बार उतरे हैं. यही हाल रमणिक सलूजा और सिद्धियानी पाटनी का भी है. इससे साफ है कि अध्यक्ष कोई भी रहे कमांड सिंधिया का ही चलेगा.