बीजेपी के वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव लगातार आठ विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1984 के चुनाव से अब तक सागर जिले की रेहली सीट पर उनका ही कब्जा है. मध्यप्रदेश में जब से बीजेपी की सरकार बनी है तब से वो मंत्रिमंडल का हिस्सा भी रहे हैं. पर एक दर्द है जो इस बार छलक रहा है. जब से मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है और उसके बाद विभागों का बंटवारा अटक रहा है. एक ही खबर आ रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के लिए मलाईदार विभाग लेने पर अड़े हुए हैं. इसलिए अब तक मंत्रियों को विभाग नहीं बंट सके हैं. पर मलाईदार विभाग होते क्या हैं. इस सवाल पर बीजेपी के सबसे सीनियर लीडर और छह बार मंत्री रहे गोपाल भार्गव के पास बड़ा मासूम सा जवाब है. भार्गव का कहना है कि मुझे नहीं लगात कि विभागों में मलाई होती है. मैंने कभी नहीं देखे मलाईदार विभाग. आगे उन्होंने कहा कि मेरे पास कृषि विभाग था. बाद में पंचायत विभाग मिला. जिसमें पैसा सीधे पंचायतो को जाता है. वैसे ये बात किसी से छिपी नहीं है कि चाहें केंद्र हो या राज्य सरकार सबसे ज्यादा बजट कृषि और पंचायत पर ही खर्च करती है. खैर अभी यही मान लेते हैं जो गोपाल भार्गव कह रहे हैं क्योंकि आगे उन्होंने जो कहा वो फिर पार्टी आलाकमान को एक मैसेज ही है. गोपाल भार्गव कहा कि नए साथी हमारी रीति नीति समझ रहे हैं. इसलिए देर हो रही है. देरी के बाद मक्खन निकलेगा. मुझे उम्मीद है कि अनुभव और योग्यता को प्रमुखता दी जाएगी. भार्गव की इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो अनुभव और योग्यता का जिक्र करके आलाकमान तक क्या मैसेज पहुंचाना चाहते हैं.
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