रहीम का दोहा है कि काज परे कछु और है और काज सरे कछु और यानी की काम निकल जाने के बाद कुछ लोगों की कद्र नहीं होती। कुछ ऐसा ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मसानी के साथ हुआ। चुनाव के पहले संजय सिंह मसानी को कमलनाथ ने बड़ी इज्जत से दिल्ली बुलाकर कांग्रेस में शामिल करवाया था और वारासिवनी से टिकट भी दिया था लेकिन संजय सिंह मसानी वारासिवनी में चौथे स्थान पर रहे और कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल चुनाव जीत गए। अब प्रदीप जायसवाल की पार्टी में पूछ परख बढ़ गई है वहीं कमलाथ के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचे संजय सिंह मसानी अंदर घुसने के लिए भीड़ से जूझते रहे वहीं किसी ने उन्हें बैठने को भी नहीं पूछा। धक्का मुक्की में संजय सिंह मसानी को चोट भी आई। एक तरफ जहां शिवराज सिंह चौहान मंचासीन होकर कमलनाथ के गले लग रहे थे वहीं उनसे बगावत करके कांग्रेस में शामिल होने वाले उनके साले मीडिया कर्मियों के बीच बैठकर अपनी खीझ मिटा रहे थे।