उपचुनाव से पहले कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ को युवा शक्ति की कमान सौंप दी है. नेपोटिज्म यानि कि भाई भतीजावाद का शोर बॉलीवुड में तो मचा ही हुआ है. अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी इस बेरहम शब्द का विद्रोह शुरू हो गया है. जो कई टैलेंटेज युवाओं की सियासत के लिए खतरा बन गया है. वैसे देखा जाए तो पार्टी का युवा चेहरा वो भी ज्योरादित्य सिंधिया के मुकाबले बनने के लिए नकुलनाथ के पास है ही क्या सिवाय उम्र के. सियासत की उम्र के अनुसार नकुलनाथ युवा नेता हैं. लेकिन इससे पहले का कोई सियासी अनुभव उनके पास नहीं है. न वो पहले कभी विधायक रहे न सांसद. पिता कमलनाथ ने सीट खाली की तो परिवार की विरासत को संभालने के लिए उन्हें चुनाव लड़ना पड़ा. जीत भी इसलिए मिली की कमलनाथ की साख छिंदवाड़ा में मजबूत थी. इसके अलावा नकुलनाथ कभी सियासी रूप से एक्टिव नहीं हुए. इसलिए कांग्रेस के युवा चेहरे इस नई नियुक्ति को पचा नहीं पा रहे हैं. वैसे तो कांग्रेस में जीतू पटवारी और उमंग सिंगार सरीखे युवा चेहरे भी हैं जो जमीन से जुड़े हैं और अपने दम पर अपनी पहचान बनाई है. पर जब जिम्मेदारी बंटने की बारी आई तो बाजी मार गए नकुलनाथ. दूसरे दावेदार हैं जयवर्धन सिंह. यानि कि दिग्विजय सिंह के बेटे. जो बड़े युवा चेहरे बन कर उभर रहे हैं. पर अब कांग्रेस में इसका विरोध नजर आने लगा है. हाल ही में कुछ पोस्टर्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे थे. जिसमें लगी है जीतू पटवारी की तस्वीर. और लिखा है न राजा न व्यापारी, अब बार जीतू पटवारी. राजा यानि दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और व्यापारी मतलब कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ. ऐसे ही कुछ और पोस्टर्स हैं जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं. हालांकि जीतू पटवारी ने खुद ये नहीं कहा कि पोस्टर उन्होंने ही बनवाए हैं या ट्रेंड चलवाया है. पर धुआं वही होता है जहां आग सुलग रही होती है. जिससे ये तो कहा ही जा सकता है कि प्रदेश कांग्रेस का नया युवा चेहरा सर्वमान्य नहीं है.
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