MP में शिवराज सरकार के दौरान हुए बहुचर्तित ई टेंडरिंग (e-tendering) घोटाला मामले में फिलहाल EOW ने अज्ञात राजनेताओं पर FIR दर्ज की है लेकिन जिन पांच विभागों के 9 टेंडरों में ये ई टेंडरिंग e-tendering घोटाला हुआ है उसकी जिम्मेदारी शिवराज के अलावा सरकार के तीन प्रमुख मंत्रियों के पास थी और देर-सवेर ये मंत्री जांच के दायरे में आ सकते हैं। जानकारी के मुताबिक जल निगम में 1800 करोड़, रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में 8 करोड़, PWD में 14 करोड़, PHE में 1135 करोड़ और PIU में 15 करोड़ का ई टेंडरिंग घोटाला हुआ है। जल निगम की मंत्री कुसुम महदेले थीं, जबकि PHE के मंत्री नरोत्तम मिश्रा थे। वहीं रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, PWD और PIU के मंत्री रामपाल थे। माना जा रहा है कि खुद शिवराज सिंह चौहान के साथ ही ये मंत्री भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। ईओडब्ल्यू EOW के मुताबिक जल निगम और PHE में सबसे ज्यादा घोटाला हुआ है। हालांकि जानकारी मिली है कि उस समय PHE मंत्री रहीं कुसुम मेहदेले ने पूरा ठीकरा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर फोड़ दिया है। कुसुम मेहदेले के मुताबिक जल निगम के अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ते और टेंडर की प्रशासकीय मंजूरी और बजट स्वीकृति निगम के अध्यक्ष के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने दी थी। जिस समय टेंडर घोटाला हुआ उस समय कुसुम मेहदेले PHE मंत्री, प्रमोद अग्रवाल प्रिंसिपल सेक्रेटरी और PN मालवीय ENC थे। EOW ने इन सभी को जांच के दायरे में रखा है वहीं हेराफेरी करके टेंडर लेने वाली मुंबई की कंपनियों ह्यूम पाइप लिमिटेड और जीएमसी लिमिटेड के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
सूत्रों से ये भी पता चला है कि ई-टेंडर e-tender घोटाले से जुड़े 3 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। और इन तीनों आरोपियों ने टेंडर में टेम्परिंग करने की बात कबूली है। जानकारी के मुताबिक बंगलुरू की गेटवे से ये टेम्परिंग की गयी थी. किनके कहने पर हुई टेम्परिंग, किनसे कनेक्शन हैं ऐसे तमाम बिंदुओं पर आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। वहीं गुरुवार को पुलिस ने भोपाल के मानसरोवर कॉम्पलेक्स में भी एक आईटी कंपनी में इस संबंध में छापा मार कर कुछ दस्तावेज जप्त किए हैं।