मध्यप्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी चरम पर है। सिंधिया गुट और दिग्विजय गुट लड़ भिड़ रहे हैं लेकिन इन सबके बीच कमलनाथ गुट शांत है। सियासी जानकारों का कहना है कि एमपी में तीन प्रमुख गुटों में से दो गुट बवाल काट रहे हैं और इसके पीछे कहीं न कहीं तीसरे गुट का फायदा है या ये भी हो सकता है कि इस बवाल का सूत्रधार ये तीसरा गुट ही हो। मध्यप्रदेश में राजनीति के नए चाणक्य बनकर उभरे सीएम कमलनाथ मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष दोनों पदों पर काबिज हैं। आए दिन कमलनाथ सरकार को खतरा होने और पीसीसी अध्यक्ष के लिए नए व्यक्ति का चुनाव जैसी अटकलों का बाजार गर्म होता रहता है। राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि कमलनाथ की सत्ता तभी तक बगैर परेशानी के चल सकती है जब तक कि उनके खिलाफ दो गुट आपस में भिड़ते रहें। अगर दोनों गुट मिलकर इस तीसरे गुट के खिलाफ हो जाएंगे तो फिर कमलनाथ को मुश्किल होगी। यही कारण है कि कुछ लोग अब मान रहे हैं कि कांग्रेस की इस सियासी उठापटक के पीछे कहीं खुद कमलनाथ का डायरेक्शन तो नहीं है। ताजा जानकारी के मुताबिक पीसीसी चीफ को लेकर मचे बवाल के बीच अब कांग्रेस हाई कमान ने कमलनाथ को ही पीसीसी चीफ बने रहने की सहमति दे दी है। कमलनाथ नहीं चाहते थे कि प्रदेश में शक्ति के अलग-अलग केंद्र बनें और एक ही व्यक्ति के पास सत्ता और संगठन की कमान होने से परेशानियां कम हो जाती हैं। अब जिस तरह से कांग्रेस में बवाल हो रहा है उसको देखते हुए इस बात की संभावना कम ही है कि कमलनाथ की जगह किसी और को पीसीसी चीफ फिलहाल बनाया जाएगा। यानी इस बवाल से किसी को फायदा हुआ है तो वो सीएम कमलनाथ ही हैं।