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बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के साईडइफेक्ट नजर आने लगे हैं. लाख कोशिशों के बावूजद पार्टी अपने नेताओं के असंतोष को संभाल नहीं पा रही है. खबर है कि नेता फिलहाल सामने जाहिर तो नहीं कर रहे हैं लेकिन कई सीटों के पुराने बीजेपी प्रत्याशी नए विकल्प तलाशने लगे हैं. दीपक जोशी और उनके बाद भांडेर से बीजेपी से चुनाव चुके घनश्याम परोनिया ने भी टिकट के लिए आवाज बुलंद कर ही दी है. पर अब इन सबसे बड़ा झटका बीजेपी को सांची विधानसभा सीट से लग सकता है. जहां पहले गौरीशंकर शेजवार चुनाव लड़ते रहे. और कई बार जीते भी. बीजेपी सरकार में मंत्री भी रहे. उनके बाद ये राजनीतिक विरासत संभाली उनके बेटे मुदित शेजवार ने. हालांकि मुदित अपने पिता के पुराने प्रतिद्वंद्वि रहे प्रभुराम चौधरी से हार गए. और अब तो चौधरी बीजेपी में ही आ गए हैं. यानि जो सत्ता विरासत में पिता से मिली थी. वो आगे नहीं बढ़ सकेगी. क्योंकि अब दावेदारी प्रभुराम चौधरी की ही होगी. लिहाजा अटकलें है कि अब परिवार की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मुदित भी पार्टी बदल सकते हैं. क्योंकि ऐसा नहीं किया तो उनका राजनीतिक करियर तो खत्म ही समझो. पिता भले ही बीजेपी में रह जाएं. पर मुदित कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. वैसे भी सांची विधानसभा सीट में दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मनमुटाव की खबरें आम हो रही हैं. ऐसे में मुदित भी सिंधिया की राह चल दें तो कोई ताज्जुब नहीं होगा.