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पाकिस्तान और चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच अचानक नेपाल का नाम आना चौंकाता है. बिहार से लगी नेपाल की सीमा पर फायरिंग की घटना से अचानक ऐसा लगने लगा है कि अब नेपाल का झुकाव चीन की तरफ हैं. और ये नई गलबहियां भारत को दूर धकेल रही हैं. सारा मामला नक्शे में बदलाव से शुरू हुआ. नेपाल ने नक्शा बदला. भारत के कुछ हिस्सों को अपना हिस्सा बताया. जिसके बाद सारा मामला शुरू हुआ. हालांकि इसके बाद नेपाल ने 9 सदस्यों वाली एक टीम का गठन किया है जो ये स्टडी करेगी कि कितना हिस्सा भारत का और कितना नेपाल का है. जिसके बाद से खुद नेपाल के कूटनीतिक जानकार हैरान हैं नेपाल उल्टा काम क्यों कर रहा है. कायदे से पहले समिति बन कर स्टडी होना थी फिर उसे संसद में पेश होना था. नेपाल की ये हरकत कई सवाल खड़े करती है. पहला सवाल ये कि जिस जमीन के दस्तावेज नेपाल के पास हैं ही नहीं. उसका नक्शा बनाने में नेपाल ने जल्दबाजी क्यों की.
दूसरा सवाल ये कि बिना किसी प्रामाणिक दस्तावेज के नेपाल ने किसके उकसाने पर भारत के साथ ऐसी हरकत की?
तीसरा सवाल ये कि क्या नेपाल ने किसी और देश को खुश करने के लिए भारत को परेशान किया. और जबरदस्ती का सीमा विवाद पैदा किया.
चौथा और आखिरी सवाल ये कि क्या नेपाल की ओली सरकार ने अपनी नाकामी और डगमगाती सत्ता बचाने के लिए लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की.