शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल पर लगता है इस बार किसी की नजर लगी हुई है. पहले तो मंत्रिमंडल बनना ही मुश्किल हो रहा था. पूरे छब्बीस दिन तक अकेले सरकार चलाते रहे शिवराज. फिर जैसे तैसे बना पांच मंत्रियों का मंडल. फिर विस्तार की बारी भी आई. सुनने में आता रहा कि फिलहाल शिवराज छोटा ही कैबिनेट रखेंगे. पर बना डाला भारीभरकम कैबिनेट. वजह बड़ी वाजिब थी कि अपने करीबियों को भी साधना था और सिंधिया गुट को भी संभालना था. तराजू के दोनों पलड़े बराबर हो सकें इसलिए कैबिनेट तीस पार हो गया. इतनी मेहनत मशक्कत के बाद बना ये कैबिनेट एक बार फिर मुश्किलों में पड़ गया है. इस बार मुश्किल की वजह बने हैं काग्रेंस के विधायक और पूर्व स्पीकर एनपी प्रजापति. जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है कि विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर शिवराज सिंह चौहान इतना बड़ा मंत्रिमंडल नहीं रख सकते हैं. खबर है इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस जारी कर कर दिया है. जिसका जवाब देना होगा सीएम शिवराज और मुख्य सचिव को. यानि एक बार फिर सत्ता, संगठन और सिंधिया में तालमेल बिठाकर मंत्रिमंडल बनाना शिवराज सरकार की गले की फांस बन गया है. देखते हैं इस बार इस दर्द की क्या दवा निकाली जाती है.
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