15 अगस्त 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ और पूरे देश में आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था उस दौरान महात्मा गांधी राजधानी दिल्ली में मौजूद नहीं थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया और दिल्ली में आज़ादी का सेलिब्रेशन हुआ लेकिन महात्मा गांधी पश्चिम बंगाल के नोआखली में दंगा पीड़ितों के बीच मौजूद थे। दरअसल भारत की आज़ादी के साथ ही भारत और पाकिस्तान दो देशों का बंटवारा हुआ था और इसी के साथ देश के कई इलाकों में हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे भड़क गए थे। पश्चिम बंगाल का नोआखली भी दंगों की भीषण आग में धधक रहा था। महात्मा गांधी अक्टूबर 1946 में ही दिल्ली से पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गए थे। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तो बापू नोआखली में दंगा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने में जुटे थे। बापू ने कहा था जब हिंदू-मुसलमान एक दूसरे की जान ले रहे हैं तो ऐसे में मैं जश्न मनाने कैसे आ सकता हूं।