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लद्दाख की सीमा पर चीनी फौजियों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन और भारत की फौज आमने सामने हैं. पर इस बार भारत को कम समझने की कोशिश चीन पर भारी पड़ सकती है. अगर चीन 1962 को याद करके जंग छेड़ने के मूड में है तो ये चीन की बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है. क्योंकि इस बार भारतीय सेना कदम पीछे लेने की जगह मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. खबर है कि भारत ने भी सीमा पर चीन के बराबर सेना तैयार कर दी है. हालात इसलिए गंभीर नजर आ रहे हैं क्योंकि खुद पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा विभाग के प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ बैठ कर चुके हैं. जिसमें गाल्वन घाटी और पैंगोंग झील पर चल रही तनावपूर्ण स्थिति पर चर्चा हुई. अंदर की खबर ये बताई जा रही है कि तीनों ने एलएसी पर यथास्थिति बनाए रखने पर जोर दिया है. सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि इस इलाके में चीनी कार्रवाई का फोकस क्षेत्र पर हावी होना है ताकि दरबूक-श्योक-दौलतबेग ओल्डी सड़क को पूरा करने से रोका जा सके. लेकिन इस बार भारत चीन के किसी मंसूबे को कामयाब नहीं होने देगा.