नहीं मान रहे लालू के लल्ला, तेजस्वी बाबू जब पार्टी ही नहीं रहेगी तो सीएम कैसे बनोगे?

लालू प्रसाद यादव के लल्ला तेजस्वी हैं कि मानने को तैयार नहीं है. उनकी जिद उनकी अपनी पार्टी आरएलडी के लिए नई नई मुश्किल खड़ी कर रही है. लालू के लाड़ले बाबू लोकसभा चुनाव में पहले ही पार्टी और अपने घटक दलों की लुटिया डुबो चुके हैं. फिर भी शांत नहीं बैठ रहे. अब उनका मन हुआ तो बिहार की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से चार पर आरएलडी के प्रत्याशी घोषित भी कर दिए. ये भी ठीक था. बात तो तब और बिगड़ गई जब तेजस्वी को खुद में सीएम नजर आने लगा. और कर दिया ऐलान कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वो आरएलडी से मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. क्या सोचे थे तेजस्वी कि लालू और राबड़ी के राज दुलारे हैं तो कभीभी कुछ भी फैसला कर लेंगे और सहयोगी दल मान लेंगे. ना. बिलकुल नहीं. बात बनना तो इतनी बिगड़ी कि अब उनके सहयोगी दल हम यानि कि हिंदुस्तान अवाम मोर्चा ने उन्हीं की पार्टी के सामने अपने कैंडिडेट खड़े कर दिए हैं. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने ये साफ कर दिया है कि तेजस्वी को सीएम पद का दावेदार बनाने का फैसला आरएलडी का हो सकता है लेकिन गठबंधन का नहीं है. अब तेजस्वी को ये कौन समझाए कि ये मनमानी अपनी ही पार्टी को बरबाद कर देगी. फिर बैठिएगा घर में और खेलिएगा घर में नेता नेता.

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