गंभीर बीमारी ने रोका Jyotiraditya scindia का रास्ता, Rajysabha जाना फिर हुआ मुश्किल

राज्यसभा से संसद तक जाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कितने पापड़ बेले. अपनी पुरानी पार्टी भी बदल दी. विचारधारा से समझौता किया और कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में चले गए. ये सब किया इसलिए कि कम से कम राज्यसभा की सीट उनके हाथ से न निकल जाए. क्योंकि कांग्रेस में तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेशाध्यक्ष तो बन नहीं पा रहे थे. ऐसे में राज्यसभा भी हाथ से निकलती तो पूरे पांच साल यूं ही गुजारने पड़ जाते. पर जिस पद के लिए सिंधिया ने ये सब किया अब वही उनके हाथ से फिरदूर खिसक गया है. वैसे तो सब कुछ वैसा ही चला जैसा प्लान किया गया था. सिंधिया ने पार्टी बदली अपने समर्थकों पर काबू रखा और मध्यप्रदेश की सरकार गिरा दी. बदले में बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया. इसके बाद छब्बीस मार्च को मतदान होता और सिंधिया राज्यसभा के सदस्य बन जाते. हो सकता है उसके बाद उन्हें मोदी मंत्रीमंडल में भी कोई स्थान मिल जाता. खेर ये तो आगे की बात थी. फिलहाल तो सिंधिया राज्यसभा के सदस्य ही नहीं बन पा रहे हैं. वजह है 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनावों का टलना. दरअसल कोरोना के मद्देनजर राज्यसभा के चुनाव फिलहाल टाल दिए गए हैं. यही वजह है कि सिंधिया का जो सपना 26 मार्च को पूरा होने वाला था उसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

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