loksabha Election 2019- दमोह में दो लोधियों की टक्कर- प्रहलाद या प्रताप कौन मारेगा बाजी?

दमोह लोकसभा सीट पर जाति का गुणाभाग ही अब तक की हार-जीत की इबारत लिखता आया है। इस इलाके में में लोधी और कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है इसके अलावा बड़ी संख्या में दलित-आदिवासी मतदाता हैं, जबेरा, देवरी, बंडा और बड़ामलहरा विधानसभा इलाकों में लोधी वोटरों की बहुलता है तो वहीं पथरिया, रहली और गढ़ाकोटा में कुर्मी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। यही कारण है कि दमोह लोकसभा इलाके से बीजेपी की ओर से कुर्मी समाज से आने वाले डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया चार बार यहां से सांसद रहे और अब लोधी समाज से आने वाले प्रहलाद पटेल सांसद हैं।

अगर बीजेपी के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद प्रहलाद पटेल की बात करें तो उनकी छवि जमीनी नेता की है। हालांकि प्रहलाद पटेल का मूल स्थान नरसिंहपुर है लेकिन दमोह के लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया और लोकसभा तक पहुंचाया। प्रहलाद पटेल उमा भारती के काफी करीबी माने जाते हैं और 2014 में दमोह लोकसभा चुनाव जीतकर चौथी बार सांसद बने थे। संसद में प्रहलाद पटेल की उपस्थिति 94 फीसदी से ज्यादा रही। दमोह के विकास कार्यों के लिए आबंटित 25 करोड़ रुपए ब्याज की रकम मिलाकर 27.23 करोड़ हो गए थे जिसमें से उन्होंने 24.10 खर्च किए। उनका करीब 3.13 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया।

वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह लोधी की बात करें तो वे जबेरा से 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए थे। हालांकि 2013 में वो जबेरा से ही विधायक चुने गए थे। लोधी 1994 से 2013 तक तीन बार जिला पंचायत के सदस्य रहे हैं और खास बात ये है कि प्रताप लोधी भी लोधी समाज से आते हैं जिसके वोटरों की संख्या दमोह लोकसभा इलाके में काफी ज्यादा है। जबेरा ही नहीं पूरे दमोह में प्रताप सिंह लोधी की छवि काफी अच्छी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। प्रहलाद पटेल के सामने कांग्रेस को प्रताप सिंह लोधी सबसे बेहतर उम्मीदवार लगे।

कुल मिलाकर दमोह लोकसभा क्षेत्र में दो लोधियों के बीच मुख्य मुकाबला है लेकिन इसमें प्रहलाद पटेल वर्तमान सांसद होने और पिछला चुनाव 2 लाख से अधिक वोटों से जीते होने के कारण अच्छी स्थिति में नजर आ रहे हैं लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने का फायदा प्रताप सिंह लोधी को मिल सकता है। अगर रामकृष्ण कुसमरिया के कारण कुर्मी वोटों का ध्रुवीकरण किसी एक पार्टी के पक्ष में होता है तो उस पार्टी की जीत पक्की है।

(Visited 99 times, 1 visits today)

You might be interested in

LEAVE YOUR COMMENT