दिल्ली में कुछ सीटों की बढ़त के बाद भी ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी बुरी तरह हारी है. झारखंड में भी बीजेपी ने अपना गठबंधन तोड़ दिया. नतीजा ये रहा कि सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई. और अब बारी है बिहार की. सवाल ये है कि क्या बीजेपी ने झारखंड और दिल्ली की हार से कोई सीख ली है या फिर बिहार में भी वही पुरानी गलती दोहराने के मूड में है. दरअसल झारखंड में बीजेपी ने खुद को महागठबंधन से अलग कर लिया था. लेकिन बिहार में अभी से ये साफ कर दिया है कि वो नीतीश कुमार की पार्टी जदूय के साथ ही मिलकर चुनाव लड़ने वाली है. पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि उन्हें नीतीश के चेहरे पर पूरा भरोसा है. यानि लौट के बुद्धु घर को आ चुके हैं. हालांकि पार्टी की कोशिश ये भी है कि किसी तरह भी पार्टी की ताकत को गठबंधन में कमजोर नहीं पड़ने दिया जाए. पर पिछले चुनावों की तरह बीजेपी ने अब तक सीटों को लेकर कोई शर्त नहीं रखी है. शायद दूध की जली बीजेपी छाछ को भी फूंक फूंक पी रही है.