शाहीन बाग में पिछले 51 दिनों से बैठे प्रदर्शकारियों के मंसूबे अब तक फेल ही हुए हैं. सरकार उनके किसी भी पैंतरे के दबाव में नहीं आई. पचास दिन बाद भी नागरिकता संशोधन विधेयक पर सरकार का फैसला अटल है. और लोग इसके फायदे समझ कर अपना विरोध खत्म करते जा रहे हैं. लेकिन शाहीन बाग के लोगों पर शरजील जैसे वक्ताओं के असर अब भी नजर आ रहा है. हालांकि अब तक अपना हर दांव पेंच नाकाम होता देख शाहीन बाग के लोगों को और ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ गई है. हाल ही में पचासवें दिन धरने के लिए शाहीन बाग ने लोगों से अपील की. एक इश्तिहार के जरिए. जिसमें लिखा गया कि हम शाहीन बाग की महिलाएं दिल्ली एनसीआर के सभी लोगों से आग्रह करती हैं कि हमारा साथ दें. मजेदार बात ये है कि धर्म के नाम पर जारी इस लड़ाई को इश्तेहार देने वालों ने धर्मनिरपेक्ष आदर्शों वाला आंदोलन बताया है. अब आप इसे क्या कहेंगे क्या ये आपको भी धर्मनिरपेक्ष आदर्शों वाला आंदोलन लगता है. कमेंट बॉक्स में कमेंट कर जरूर बताएं.