ग्वालियर में तानसेन समारोह के दूसरे दिन पांच संगीतकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। शुरुआत शंकर गंधर्व संगीत महा विद्यालय के कलाकारों के ध्रुपद गायन से हुई, इसके बाद यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन हुआ, बाद में विपुल कुमार का संतूर वादन, निर्भय सक्सेना और दीपक क्षीर सागर की मोहन वीणा ने समा बांध दिया। दिन भर श्रोता संगीत के समुद्र में डुबकियां लगाते रहे। बड़ौदा गुजरात से पधारे क्षीरसागर सांगीतिक परिवार की चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि दीपक क्षीरसागर ने जब मोहनवीणा के तार छेड़े तो ऐसा लगा कि प्यार की पुलक, प्रियतम का सम्मोहन और विरह की वेदना एक साथ उमड़ पड़ी हो। जाहिर है कला रसिकों को मोहन वीणा के माधुर्य में डूबना ही था।तानसेन समारोह की आज की प्रातःकालीन सभा में दीपक क्षीरसागर की अंतिम कलाकार के रूप में प्रस्तुति हुई। उन्होंने अपने मोहन वीणा वादन में राग “मधुवंती” में तीन गतें पेश कीं। विलंबित गत झप ताल में, मध्यलय की गत आड़ा चौताल और द्रुत लय की गत तीन ताल में बजाई। क्षीरसागर ने मांड की धुन निकालकर अपने वादन का समापन किया। ग्वालियर घराने की विशुद्ध प्रस्तुति उनके वादन में झलक रही थी।