मध्यप्रदेश में मुख्यसचिव बनाए गए आईएएस सुधि रंजन मोहंती की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इंदौर के सीनियर एडवोकेट मनोहर दलाल ने इस संबंध में 22 जनवरी को याचिका दाखिल की थी जिसे 6 फरवरी को रजिस्टर्ड कर लिया गया और अब शुक्रवार 15 फरवरी को इस मामले में सुनवाई होनी है। मनोहर दलाल ने इस मामले में भारत सरकार के सेक्रेटरी, सीबीआई के डायरेक्टर, मध्यप्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग और वल्लभ भवन के अतिरिक्त मुख्य सचिव, ईओडब्लू के डीजी, सीएस एस आर मोहंती के अलावा दिग्विजय सिंह को भी प्रतिवादी बनाया है। दरअसल एमपीएसआईडीसी के एमडी रहने के दौरान मोहंती ने 719 करोड़ का कर्ज बिना किसी गारंटी के विभिन्न कंपनियों को बांटा था। नियम विरूद्व कर्ज बांटने पर मोहंती के खिलाफ 2004 में जांच शुरू की गई थी। ईओडब्लू ने सुप्रीम कोर्ट में अभियोजन दाखिल किया था और विभागीय जांच भी शुरू हुई थी। मोहंती को कोर्ट से राहत मिली थी लेकिन विभागीय जांच में क्लीन चिट नहीं मिली थी। तब मोहंती इस मामले को लेकर कैट में गए थे और 4 दिसंबर को कैट ने फैसला सुनाया था कि मोहंती पर आपराधिक प्रकरण नहीं चलाया जाएगा लेकिन जब तक विभागीय जांच पूरी नहीं हो जाती मोहंती प्रमोशन नहीं ले सकते। लेकिन मोहंती और प्रदेश सरकार ने भी लीगल डिपार्टमेंट से ये बात छिपाई और कैट के फैसले को ताक पर रखते हुए मोहंती को सीएस बना दिया गया। इसी को चुनौती देते हुए इंदौर के मनोहर दलाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।मध्यप्रदेश में मुख्यसचिव बनाए गए आईएएस सुधि रंजन मोहंती की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इंदौर के सीनियर एडवोकेट मनोहर दलाल ने इस संबंध में 22 जनवरी को याचिका दाखिल की थी जिसे 6 फरवरी को रजिस्टर्ड कर लिया गया और अब शुक्रवार 15 फरवरी को इस मामले में सुनवाई होनी है। मनोहर दलाल ने इस मामले में भारत सरकार के सेक्रेटरी, सीबीआई के डायरेक्टर, मध्यप्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग और वल्लभ भवन के अतिरिक्त मुख्य सचिव, ईओडब्लू के डीजी, सीएस एस आर मोहंती के अलावा दिग्विजय सिंह को भी प्रतिवादी बनाया है। दरअसल एमपीएसआईडीसी के एमडी रहने के दौरान मोहंती ने 719 करोड़ का कर्ज बिना किसी गारंटी के विभिन्न कंपनियों को बांटा था। नियम विरूद्व कर्ज बांटने पर मोहंती के खिलाफ 2004 में जांच शुरू की गई थी। ईओडब्लू ने सुप्रीम कोर्ट में अभियोजन दाखिल किया था और विभागीय जांच भी शुरू हुई थी। मोहंती को कोर्ट से राहत मिली थी लेकिन विभागीय जांच में क्लीन चिट नहीं मिली थी। तब मोहंती इस मामले को लेकर कैट में गए थे और 4 दिसंबर को कैट ने फैसला सुनाया था कि मोहंती पर आपराधिक प्रकरण नहीं चलाया जाएगा लेकिन जब तक विभागीय जांच पूरी नहीं हो जाती मोहंती प्रमोशन नहीं ले सकते। लेकिन मोहंती और प्रदेश सरकार ने भी लीगल डिपार्टमेंट से ये बात छिपाई और कैट के फैसले को ताक पर रखते हुए मोहंती को सीएस बना दिया गया। इसी को चुनौती देते हुए इंदौर के मनोहर दलाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।