MP की सीधी लोकसभा सीट विंध्य बघेलखंड इलाके की प्रमुख सीट है। हालांकि इस सीट पर कभी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है लेकिन पिछले दो चुनावों से यहां पर बीजेपी काबिज है। 2019 का चुनाव जीतकर जहां बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में है वहीं कांग्रेस ने दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल भैया को यहां से उतारकर बीजेपी के मनसूबों पर पानी फेरने का मन बनाया है। फिलहाल यहां पर बीजेपी ने वर्तमान सांसद रीति पाठक पर ही भरोसा जताया है। इस सीट के इतिहास भूगोल में जाए बगैर सिर्फ बात करते हैं वर्तमान की और जानते हैं कि किस पार्टी और उम्मीदवार के पक्ष और विपक्ष में क्या-क्या बातें हैं- सबसे पहले बात करते हैं बीजेपी की क्योंकि इसी पार्टी की सांसद रीति पाठक फिलहाल सीधी लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। 2014 में रीति पाठक कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराकर पहली बार संसद सदस्य बनी थीं। अब सबसे पहले जानते हैं कि रीति पाठक और बीजेपी के फेवर में कौन-कौन सी बातें हैंः सबसे पहली बात तो ये कि रीति पाठक वर्तमान सांसद हैं, दूसरी और सबसे खास बात ये है कि सीधी-सिंगरौली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 8 विधानसभा सीटों चुरहट, चित्रांगी, धौहानी, सीधी, सिंगरौली, ब्यौहारी, सिहावल, देवसर में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है यानी कि ये जो पूरा इलाका है वो बीजेपी का गढ़ है जिसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी और रीति पाठक को मिलता दिख रहा है। पिछले चुनावों में रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को एक लाख से ज्यादा वोटों से मात दी थी तो ये भी काफी बड़ा अंतर है जो कि कांग्रेस के लिए पाटना मुश्किल दिख रहा है। सांसद रीति पाठक की बात करें तो लोकसभा में उन्होंने लगभग 95 फीसदी उपस्थिति दर्ज कराई है और इलाके के विकास से जुड़े कई मुद्दे भी उठाए हैं। अब बात करते हैं वो कौन सी बातें हैं जो बीजेपी के अगेंस्ट जा रही हैं- तो सबसे पहली बात ये कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और इसका वोटरों पर कुछ न कुछ मॉरल इफेक्ट पड़ सकता है। इस बार कांग्रेस ने विंध्य क्षेत्र के कद्दावर नेता अजय सिंह को टिकट दिया है जिनका इलाके में काफी प्रभाव माना जाता है। तीसरा वर्तमान विधायक के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी का फैक्टर भी बीजेपी और रीति पाठक के खिलाफ जा सकता है। उन्होंने इलाके के विकास के लिए आबंटित सांसद निधि का पूरा पैसा खर्च नहीं किया। इलाके के विकास से जुड़े कई मुद्दे खासतौर पर सिंगरौली इलाके में विकास के कई काम नहीं होने का नुकसान बीजेपी को हो सकता है। चौथा फैक्टर है भितरघात यानी बागी। बीजेपी के कई नेता रीति पाठक को दोबारा टिकट दिए जाने से नाराज हैं और या तो सहयोग नहीं करेंगे या भितरघात करेंगे जिसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है। अब बात करते हैं कांग्रेस की वो कौन सी बातें हैं जो कांग्रेस को इस सीट पर वापसी दिला सकने के फेवर में हैं और बीजेपी को हैट्रिक लगाने से रोक सकती हैं तो सबसे पहली बात जो हम पहले भी बता चुके हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मॉरल इस समय बीजेपी कार्यकर्ताओं की तुलना में थोड़ा हाई है। दूसरी बात अजय सिंह राहुल का कद उनके पूर्ववर्ती उम्मीदवारों की तुलना में थोड़ा ज्यादा बड़ा है। विंध्य इलाके में उनके समर्थकों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके अलावा अजय सिंह को बीजेपी की फूट का भी फायदा मिल सकता है। वहीं अगर कांग्रेस और अजय सिंह के लिए नेगेटिव फैक्टर की बात करें तो सबसे पहला फैक्टर ये है कि सीधी-सिंगरौली लोकसभा क्षेत्र की आठ में सात सीटों पर बीजेपी का कब्जा है जो कांग्रेस के फेवर में तो कतई दिखाई नहीं देता। दूसरी बात अजय सिंह राहुल का लोकसभा क्षेत्र बार-बार बदला गया पहले उन्हें सतना से टिकट मिलने की बात हो रही थी खुद अजय सिंह भी पहले वहां से लड़ना चाह रहे थे क्योंकि वे पिछली बार सतना से काफी कम अंतर से हारे थे। लेकिन राजेंद्र सिंह के विरोध के कारण उनको सीधी से लड़ना पड़ रहा है। यही कारण है कि उनकी पहले से यहां पर जमीन उतनी मजबूत नहीं है। तो कुल मिलाकर देखा जाए तो सीधी लोकसभा सीट पर बीजेपी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है लेकिन अगर कांग्रेस के कार्यकर्ता एकजुट हुए और सांसद के खिलाफ भितरघात और एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर चला तो बीजेपी की हैट्रिक बनने से रुक सकती है।