राज्यपाल लालजी टंडन ने साफ निर्देश दे दिए हैं कि विधानसभा में उनके अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट होगा. लेकिन पहले दिन की कार्यसूची में कहीं फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है. इस मामले में सीएम कमलनाथ ने कह दिया है कि विधानसभा की कार्रवाई अध्यक्ष के अनुसार चलेगी. पर राज्यपाल के सामने सरकार की ये अकड़ कहीं भारी न पड़ जाए. विधानसभा की कार्रवाई क एक्सपर्स्टस के मुताबिक राज्यपाल के आदेशों के बाद उसे ज्यादा देर तक टालना सरकार के लिए महंगा साबित हो सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक राज्यपाल भी विधानसभा का उसी तरह मुख्य अंग हैं जिस तरह राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा मिले हुए हैं. स्पीकर और राज्यपाल का दायरा सीमित है. लेकिन अंत में राज्यपाल स्पीकर पर भारी पड़ सकते हैं. स्पीकर को अधिकार है कि वो विधायकों के इस्तीफे मंजूर करे या उन्हें अयोग्य घोषित करे. लेकिन फैसला डिले करने की स्थखिति में राज्यपाल को पूरा अधिकार है कि वो सरकार को बर्खास्त कर दे. ऐसे में स्पीकर बहुत समय के लिए फ्लोर टेस्ट को टाल नहीं सकते.