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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अब वर्तमान में बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सारी लड़ाई एक पद को लेकर थी । वह पद था मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष का। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कमलनाथ इस पद पर काबिज थे। लोकसभा चुनाव हारने के बाद सिंधिया लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि उन्हें मध्य प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। लाख कोशिशों के बावजूद कमलनाथ ने यह पद नहीं छोड़ा सीएम रहते हुए भी वह प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहे। नतीजा यह हुआ कि नाराज होकर सिंधिया पार्टी छोड़कर बीजेपी में चलेगा। पर अब सत्ता जाने के बाद जब कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो कहा कि वह पहले ही कहते रहे हैं कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नहीं रहना । पर सवाल है कि यह बात उन्होंने तब क्यों नहीं कहीं जब सिंधिया इस पद पर काबिज होना चाहते थे । अगर समय रहते कमलनाथ सिंधिया के लिए यह पद छोड़ देते तो सिंधिया भी कांग्रेस में ही होते और कमलनाथ भी सूबे के मुखिया ही होते।