कमलनाथ सरकार मार्च में गिरी. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी और बीजेपी ज्वाइन कर ली. इसके बाद से प्रदेश की 24 सीटों पर कोई विधायक नहीं है. 22 सीटें इसलिए खाली हैं क्योंकि कांग्रेस से नाराज सिंधिया समर्थकों ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली. दो सीटों के विधायकों की असामायिक मृत्यु की वजह से सीटें खाली हैं. नियम कहता है कि खाली सीटों पर छह माह के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए. लेकिन कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने जौरा सीट का उपचुनाव टाल दिया है. कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद ये सीट दिसंबर से खाली है. इसके एक महीने बाद मनोहर उंटवाल के निधन से आगर की सीट भी खाली हुई. जनवरी से खाली पड़ी इस सीट पर भी फिलहाल चुनाव होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. अब कोरोना की चपेट में ग्वालियर चंबल का इलाका है. जहां एक ही दिन में कोरोना के 200 लोग मिले हैं. भोपाल और इंदौर के बाद अब ग्वालियर चंबल कोरोना का नया हॉटस्पॉट बन चुका है. लगातार पॉजीटिव केस मिलने के बाद यहां चंबल नदी पर एक बार फिर सीमा सील कर दी गई है ई रिक्शा के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है. ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं. लेकिन यहां जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उन्हें देखते हुए ऐसा लगता है कि यहां भी चुनाव टालने का फैसला लिया जा सकता है. क्योंकि मुरैना में सबसे ज्यादा एक्टिव केस मिले हैं. जहां कि विधानसभा सीटों पर भी चुनाव होने हैं. और लॉक डाउन के चलते फिलहाल प्रत्याशियों को भी चुनाव प्रचार करने का वक्त नहीं मिला है. ऐसे में अगर इन सीटों पर भी उपचुनाव टल जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा.
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