पेशेंट को स्ट्रेचर पर रख कर बचाने की कोशिश करने वाले विजुअल से शुरू करें
ये एक कोविड 19 के मरीज की जान बचाने की कोशिश है. पर मौत ने इतना मौका भी नहीं दिया कि मरीज को अस्ताल के भीतर ले जाकर इलाज दिया जा सके. मौत तो बेरहम है ही. पर जिंदा जीते जागते इंसानों में भी इंसानियत कहां बची है. इस घटना को थोड़ा सा रिवाइंड करेंगे तो ये समझ जाएंगे कि इंसान मौत से ज्यादा बेरहम हो गए हैं. ये घटना मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की है. जहां एक किडनी पेशेंट की कोरोना के चलते मौत हो गई. जिंदगी छीनने का इल्जाम कोरोना पर लगा है. पर हकीकत में इंसानों ने एक इंसान की जान ले ली.
एम्बूलेंस में खाली स्ट्रेचर लोड करते इन लोगों को देखिए. अब से चंद मिनट पहले इसी स्ट्रेचर पर वो शख्स लेटा था. जिसका हार्ट पंप कर उसे वापस जिलाने की कोशिश हो रही है. एम्बुलेंस का ये स्टाफ इस कोरोना पीड़ित किडनी पेशेंट को अस्पताल के बाहर ही पटक गया. अस्पताल के स्टाफ को जब तक इत्तेला मिली और मरीज को स्ट्रेचर पर डाल कर पंपिंग शुरू की गई. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मरीज की जान जा चुकी थी.
ये मामला भोपाल के दो निजी अस्पताल के बीच का बताया जा रहा है. जब तक किडनी पेशेंट को कोरोना होने पर एक अस्पताल ने उसे कोविड 19 ऑथोराइज्ड अस्पताल भेजा. बताया जा रहा है कि एम्बुलेंस वापस मरीज को अस्पताल के बाहर ही पटक कर चली गई. ऐसा क्यों हुआ फिलहाल इसका खुलासा नहीं हुआ है. कहानी जो भी हो कार्रवाई जो भी हो. पर ये तस्वीरें साफ कर रही हैं कि मर्ज तो मरीज को बख्श नहीं रहा है पर इंसान भी कम नहीं है. जिनके लिए एक इंसानी जान की कोई कद्र नहीं रह गई.