प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत अचानक एक्शन में क्या आए प्रदेश के राजस्व अधिकारी और कर्मचारी नाराज़ हो गए और हड़ताल पर जाने की धमकी दे डाली। दरअसल पूरा मामला मंगलवार का है जब एक्शन में आए मंत्रीजी ने पहले सरकारी प्रेस पर धावा बोला और औचक निरीक्षण करते हुए पूरे कामकाज की जांच पड़ताल कर डाली। इसके बाद मंत्री जी सीहोर पहुंच गए और तहलीदार के कार्यालय में जाकर कागजातों की जांच की और तहसीलदार को भ्रष्ट करार देते हुए उसे निलंबित करने के निर्देश दे दिए। गोविंद सिंह राजपूत मंगलवार दोपहर अचानक सीहोर पहुंचे और तहसील कार्यालय में रखे गए कागजातों और शिकायत रजिस्टर की जांच की। जांच के दौरान मंत्री जी ने देखा कि 595 प्रकरणों में से 224 प्रकरण काफी समय से लंबित हैं। शिकायत रजिस्टर भी व्यवस्थित नहीं पाया गया। तहसील कार्यालय में बड़ी संख्या में अतिक्रमण की शिकायतें आई थीं लेकिन 17 में से सिर्फ 4 प्रकरणों का ही निपटारा हो पाया था। इस पर नाराज़ होकर मंत्री जी ने तुरंत तहसीलदार को निलंबित करने का फरमान सुना दिया। मंत्री जी के आने की जानकारी मिलते ही तहसीलदार सुधीर कुशवाहा दौड़े-दौड़े तहसील कार्यालय पहुंचे और मंत्री जी से गुहार भी लगाई लेकिन मंत्री जी ने एक न सुनी। लेकिन तहसीलदार को निलंबित किए जाने की जानकारी मिलने के बाद मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ नाराज हो गया। संघ ने चेतावनी दे डाली है कि यदि तहसीलदार का निलंबन किया जाता है तो पूरे प्रदेश में तहसीलदार हड़ताल पर चले जाएंगे। राजस्व अधिकारी संघ का कहना है कि मंत्रीजी ने राजस्व न्यायालय के डायस पर बैठकर न्यायालय की गरिमा को चोट पहुंचाई है।