देश का सबसे पुराना राजनैतिक दल कही जाने वाली कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा जा रहा है कि वह अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है। विधानसभा चुनावों में बढ़िया प्रदर्शन के बाद लोकसभा चुनाव में पार्टी की अप्रत्याशित और करारी हार हुई और उसके बाद से ही पार्टी में सब कुछ बिखर सा गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कोप भवन या कहें अवसाद भवन में बैठे हैं और इस्तीफे की पेशकश वापस लेने को तैयार नहीं हैं। राहुल गांधी का कहना है कि अब गांधी परिवार में से कोई भी कांग्रेस का नेतृत्व नहीं संभालेगा। राहुल को मनाने के सारे प्रयास विफल हो चुके हैं। सारे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मिलकर भी राहुल को उनके फैसले से डिगा नहीं पाए हैं। सुना है राहुल गांधी ने सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों की जमकर क्लास लगाई है। सूत्रों के मुताबिक राहुल ने ये भी कहा है कि हार के बाद किसी ने भी जिम्मेदारी नहीं ली और सारा ठीकरा राहुल के माथे मढ़ दिया गया। अब राहुल ने संगठन के किसी भी काम में हाथ डालने से इनकार कर दिया है। फिलहाल राहुल पद छोड़ेंगे या नहीं, अगला अध्यक्ष कौन होगा इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। लगता है अध्यक्ष बनने तक कांग्रेस थम गई है। मध्यप्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर असमंजस की स्थिति है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी वेट एंड वाच की स्थिति में हैं। निगम मंडलों में नियुक्ति के अलावा मंत्रिमंडल विस्तार भी टल रहा है। संगठन में फेरबदल के फिलहाल कोई चांस नजर नहीं आ रहे हैं। प्रदेश प्रभारी पद से इस्तीफा दे चुके दीपक बावरिया का भी कहना है कि पहले राष्ट्रीय स्तर पर चीजें ठीक हो जाएं उसके बाद ही प्रदेश पर ध्यान दिया जाएगा। तो कुल मिलाकर बहुत जल्द सारी स्थितियां ठीक होने की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है। ये भी जानकारी मिली है कि राहुल गांधी के हाथ खींचने के बाद एक बार फिर सोनिया गांधी ने टेकओवर कर लिया है और अब उन्हीं के हाथ में पार्टी की अघोषित कमान है। और जानकारों का कहना है कि राहुल के निष्क्रिय होने के बाद अब सोनिया गांधी को ही कांग्रेस की डूबती नैया की पतवार थामनी होगी।