मुंबई हमले को हिंदू आतंक साबित करना चाहती थी कांग्रेस?

मुंबई हमले के समय गृह मंत्रालय में पदस्थ रहे पूर्व अंडर सेक्रेटरी RVS मणि ने मुंबई हमले को तत्कालीन यूपीए सरकार और पाकिस्तान सरकार के बीच की फिक्सिंग करार दिया है। RVS मणि ने आरोप लगाया है कि हिंदू आतंकवाद की परिकल्पना को जानबूझकर तत्कालीन केंद्र सरकार में मौजूद बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर पहले प्रचारित किया और फिर उसके फर्जी सबूत गढ़े। RVS मणि की मानें तो इसके लिए विहिप और आरएसएस से जुड़े लोगों को फर्जी तरीके से आरोपी बनाया गया और यही कारण था कि इसके कारण असल आतंकी बच निकले। मणि ने एक और खुलासा किया है जिसके मुताबिक 25 नवंबर को इस्लामाबाद में आतंकवाद पर एक वार्षिक बैठक होनी थी जिसको आगे बढ़ाकर 26 नवंबर को रख दिया गया और भारत से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकांश अधिकारी उस बैठक में भाग लेने गए थे। उसी रात आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला कर दिया। RVS मणि ने इस पूरे मामले पर अंग्रेजी में एक किताब लिखी है जिसका टाइटल है ‘हिंदू टेरर- इनसाइडर एकाउंट ऑफ मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर’ इस किताब के हिंदी संस्करण ‘भगवा आतंक एक षडयंत्र’ पर चर्चा के लिए मणि कुछ दिन पहले भोपाल भी आए थे। इसी दौरान ‘द ग्रेट इंडियन कांस्पिरेसी’ और ‘आतंक से समझौता’ नामक किताबों के लेखक और पत्रकार प्रवीण तिवारी ने कांग्रेस नेताओं पर हिंदू आतंकवाद गढ़ने का आरोप लगाया था। तिवारी के मुताबिक मुंबई हमले के ज्यादातर आतंकवादियों ने खुद को हिंदू दिखाने के लिए हाथ में कलावा बांधा हुआ था और गले में हिंदू देवी देवताओं के लॉकेट पहने थे। यदि कसाब को जिंदा नहीं पकड़ा जाता तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार सभी आतंकियों को हिंदू आतंकी घोषित कर देती।

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