15 अगस्त को देश भर में आजादी की सालगिरह मनाई जाती है लेकिन एमपी के बहुत कम लोग जानते हैं कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल 15 अगस्त 1947 को आजाद नहीं हुई थी बल्कि इसके 659 दिनों के बाद भोपाल को नवाबी शासन से आजादी मिली थी। भोपाल के भारत में विलय की तारीख 1 जून 1949 है। भोपाल में पहली बार 1 जून 1949 को तिरंगा लहराया गया था और आजादी का जश्न भी 15 अगस्त 1947 के बजाय 15 अगस्त 1949 को मनाया गया था। 1947 में जब देश आजाद हुआ तब भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला थे जो भोपाल को स्वतंत्र रियासत बनाए रखने के पक्षधर थे। नवाब के प्रधानमंत्री चतुर नारायण मालवीय थे जो रियासत को भारत में मिलाने के पक्षधर थे। भोपाल रियासत को भारत में मिलाने के लिए शंकरदयाल शर्मा की अगुआई में स्वतंत्रता आंदोलन चलाया गया। एक तरफ स्वतंत्रता सेनानियों का दबाव और दूसरी तरफ भारत की ओर से तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की सख्ती के आगे नवाब हमीदुल्ला ने हार मान ली और 30 अप्रेल 1949 को भारत में विलीनीकरण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिये और 1 जून 1949 को भोपाल का भारत में विलय हो गया। नवाब हमीदुल्ला को उस समय 11 लाख रुपए सालाना प्रिविपर्स दिया जाता था।