गहरी आंखों वाले दमदार अदाकार इरफान खान अब इस दुनिया में नहीं रहे. कैंसर से जंग लड़ने के बाद आखिर इरफान ये लड़ाई हार गए. ये भी क्या खूब इत्तेफाक है कि अपनी अम्मी के इंतकाल के पांच दिन बाद वो उनसे मिलने जन्नत रवाना हो गए हैं. अपनी अम्मी और अब्बू के लाड़ले इरफान. जिनका नाम ही माता पिता ने बड़े प्यार से साहबजादे इरफान खान रखा था. वैसे तो इरफान एक पठान थे. लेकिन न कभी शिकार किया. न कभी शाकाहार छोड़ मांसाहार को हाथ लगाया. अपनी जुदा एक्टिंग के लिए जाने जाने वाले इरफान का ये अंदाज भी सबसे जुदा ही था. इसलिए उनके अब्बू भी अक्सर यही कहा करते थे कि इरफान पठान परिवार का ब्राह्मण बच्चा है. अपनी अदाकारी को और उम्दा बनाने के लिए इरफान ने एनएसडी में दाखिला लिया. नसिरउद्दीन शाह के फैन रहे. और संयोग ये कि नसीर के साथ ही फिल्म कर वो एक मकबूल सितारा भी बनें. और फिर तो यादगार फिल्मों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त तैयार हो गई. पीकू, बिल्लू, हिंदी मीडियम, पान सिंह तोमर, और कैंसर को अंगूठा चिढ़ाते हुए अंग्रेजी मीडियम. इस बीमारी से लड़ते हुए भी अदाकारी में कहीं कोई कमी नहीं रही. उनका आखिरी शाहकार भी फिल्म इंड्स्ट्री के लिए यादगार बन गया. लेकिन आखिरी वक्त में इरफान ने भी हार मान ली. बेरहम बीमारी उन्हें सबसे दूर ले गई. उनके जाने के बाद फिल्म इंड्स्ट्री के दिग्गज सितारे भी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. मौत उन्हें दूर तो ले जा सकती है लेकिन उनकी नायाब अदाकारी की यादें किसी से छीन नहीं सकती. जो रजत पटल को हमेशा चमकाती रहेंगी