आपातकाल को पूरे हो रहे हैं 45 साल, लोगों को बीजेपी ऐसे याद दिलाएगी आपातकाल का दौर

45 साल पहले इंदिरा गांधी के एक फैसले ने तत्कालीन विपक्ष में नई जान फूंक दी थी. ये फैसला था पूरे देश में आपातकाल लगाने का. अदालत के एक फैसले ने इंदिरा गांधी को ये कदम उठाने पर मजबूर किया. ये मुकदमा इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी के खिलाफ था . जिसमें उन्हें चुनावों में धांधली करने का दोषी माना गया. जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने उनके रायबरेली से सांसद वाले चुनाव को अवैध करार दे दिया. जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हाथ धोना पड़ता. कई जानकार मानते हैं. कि 25 जून 1975 में लगे आपातकाल की जड़ में एक ये फैसला भी था. आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए. अभिव्यक्ति की आजादी भी छिन गई. जिसकी जद में मीडिया भी आया. जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी बाजपेयी, जॉर्ज फर्नाडीस जैसे बड़े नेता जेल में डाल दिए गए. 25 जून 1975 से शुरू हुआ आपातकाल 23 जनवरी 1977 तक जारी रहा. इसके बाद मार्च महीने में चुनावों की घोषणा हो गई. उस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के लिए अहम भूमिका अदा की. मोदी सहित आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने सूचना के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी संभाल ली. और जोखिम उठा कर भी लोगों तक कांग्रेस और आपातकाल से भरे साहित्य लोगों तक पहुंचाए. तब से लेकर 45 साल बीत जाने पर भी कांग्रेस के इस फैसले को बीजेपी याद दिलाना नहीं भूलती. जिसके साथ ये भी याद दिलाती है कि किस तरह लोगों की आवाज दबाई गई. इस बार भी 25 जून को बीजेपी वर्चुअल रैली कर रही है. हालांकि उसका मकसद कुछ और बताया जा रहा है. पर इसके पीछे 25 जून को ही चुना जाना साबित करता है कि रैली होगी तो आपातकाल का जिक्र भी आएगा ही.
#nationalnews
#breakingnews
#bjpvirtualrally
#1975apatkal
#politics
#indragandhi
#bjp
#congress

(Visited 157 times, 1 visits today)

You might be interested in