सियासी गलियारों में इन दिनों एक चर्चा काफी ज़ोरों पर है और वो है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने की। सोशल मीडिया और कई मीडिया प्लेटफार्म पर भी इसको लेकर बातें हो रही हैं। यहां तक कि कांग्रेस और बीजेपी के नेता भी एक दूसरे से पूछने में जुटे हुए हैं। सिंधिया समर्थकों में भी इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति है। दरअसल गुना से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद से ही कहा जा रहा है कि सिंधिया का एमपी कांग्रेस से मोहभंग हो गया है। कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति में जाने के बाद भी सिंधिया खुद को वहां फिट महसूस नहीं कर पाए और यही कारण रहा कि यूपी में चुनाव के प्रभारी होने के बावजूद उन्होंने वहां के चुनावों से दूरी बनाकर रखी। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी AICC महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि कुछ दिनों पहले सिंधिया के एमपी की राजनीति में सक्रिय होने की भी अटकलें थीं, वहीं ये भी कहा जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। कुछ लोग मान रहे थे कि सिंधिया एमपी में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनेंगे। फिलहाल ये सारी बातें अभी अधर में ही हैं कि धारा 370 के मुद्दे पर कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी के विपरीत सिंधिया ने बीजेपी का समर्थन किया। वहीं कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि सिंधिया बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के संपर्क में हैं और उनसे मुलाकात भी की थी। एमपी के सियासी गलियारों में तो ये भी चर्चा है कि सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों के साथ बीजेपी में जा सकते हैं और बीजेपी उन्हें एमपी का सीएम बनाने में मदद कर सकती है। फिलहाल इन बातों का कोई ओर-छोर नजर नहीं आ रहा है लेकिन अटकलों का बाज़ार गर्म है।